पल भर जो बहला दे, कोई ऐसी खुशियाँ दे पल भर जो बहला दे, कोई ऐसी खुशियाँ दे गम को ज़रा नींद आ जाए, कोई ऐसी लोरी गा दे पल भर जो बहला दे, कोई ऐसी खुशियाँ दे कब तक बेकल मन को, सपनों से बहलाऊँ कब तक सूनी डगर पे, तन्हा चलता जाऊं खाबों ख़यालों की, उलझे सवालों की मंज़िल कहाँ है बता दे पल भर जो बहला दे कोई ऐसी खुशियाँ दे वो दिन वो रातें मेरी, जिनसे बँधा मन मेरा हाए कोई लौटा दे, ले के यह जीवन मेरा यादें ही यादें मची हैं, अब तो मेरे दामन में फूल नहीं है लेकिन खुशबू है अब भी चमन में, गुज़रे ज़माने को भूले फसाने को, काश कोई दोहरा दे पल भर जो बहला दे कोई ऐसी खुशियाँ दे गम को ज़रा नींद आ जाए कोई ऐसी लोरी गा दे पल भर जो बहला दे कोई ऐसी खुशियाँ दे
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