घर छूट गये छूट गये
तुम जब से मिल कर छूट गये छूट गये तुम जब से मिल कर छूट गये जीवन के सहारे टूट गये तुम जबसे मिल कर छूट गये
जब फूल दिलों के खिलते थे जब फूल दिलों के खिलते थे जब छुप कर हम तुम मिलते थे जब छुप कर जब छुप कर हम तुम मिलते थे वो चाँदनी रातें बीत गयी बीत गयी वो चाँदनी रातें बीत गयी वो चाँद सितारे टूट गये तुम जबसे मिल कर छूट गये
क्या कीमत है इस आँसू की तुम क्या समझो तुम क्या जानो तुम क्या जानो पलकों पे गिरे थे जो मोती दामन से हमारे टूट गये तुम जबसे मिल कर छूट गये
क्यूँ भूल गये तुम बीते दिन बीते दिन क्यूँ भूल गये तुम बीते दिन क्या जी के करेंगे हम तुम बिन क्या जी के करेंगे हम तुम बिन वादों के सहारे जीते हैं वादों के सहारे टूट गये तुम जबसे मिल कर छूट गये
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