उस प्रथम प्रथम परिचय में ही मैने खोया था अपनापन उस प्रथम प्रथम परिचय में ही मैने खोया था अपनापन फिर मिला तुम्हारी आँखो से मेरे प्राणो को नव जीवन उस प्रथम प्रथम परिचय में ही
सूना सूना जीवन था मेरा तुम्हारे बिना सूना सूना जीवन था मेरा तुम्हारे बिना एक अकेला मन था मेरा तुम्हारे बिना तुमने आकर मुझे वो गीत दिया प्रिय झूम उठा मेरा तन मन फिर मिला तुम्हारी आँखो से मेरे प्राणो को नव जीवन उस प्रथम प्रथम परिचय में ही
पूनम जैसी सुंदर सलोनी तुम्हारी छटा पूनम जैसी सुंदर सलोनी तुम्हारी छटा यौवन तुम्हारा बरखा में उमड़ती घटा में मैं जनम जनम का प्यासा था तुम मुझको मिली बनके सावन फिर मिला तुम्हारी आँखो से मेरे प्राणो को नव जीवन उस प्रथम प्रथम परिचय में ही मैने खोया था अपनापन फिर मिला तुम्हारी आँखो से मेरे प्राणो को नव जीवन उस प्रथम प्रथम परिचय में ही
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