मुकेश और लता युग युग से ये गीत मिलन के गाते रहे हैं गाते रहेंगे हम तुम
लता हम तुम जग में जीवन साथी बन के आते रहे हैं आते रहेंगे मुकेश और लता हम तुम
लता जब-जब हमने जीवन पाया जब-जब ये रूप सज़ा सजना हर बार तुम्ही ने माँग भरी तुम ही ने पहनाए कंगना मुकेश हम फूल बने या राख हुए पर साथ नही छूटा अपना हर बार तुम्ही तुम आन बसे इन आँखो में बन के सपना लता आ आ आ आ मुकेश आ आ आ आ मुकेश और लता हम तुम युग-युग से ये गीत मिलन के गाते रहे हैं गाते रहेंगे हम तुम साथी आ आ आ
मुकेश हम आज कहें तुमको अपना हम तुम किसी रोज़ पराए थे बाहों के हार तुम्हे हमने बरसो पहले पहनाए थे लता दुनिया समझी हम बिछड़ गये ऐसे भी ज़माने आए थे लेकिन वो जुदा होने वाले हम नहीं हमारे साये थे आ मुकेश आ आ आ आ लता हम तुम मुकेश युग युग से ये गीत मिलन के गाते रहे हैं लता गाते रहे हैं मुकेश गाते रहेंगे लता हो ओ ओ ओ हम तुम साथी हं हं हं हं हं हं हं हं
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