आज ये आँचल मुँह क्यों छिपाये आँख का काजल क्यों शरमाये आख़िर क्या है बात हंसी क्यूँ होठों तक आ कर रुक जाये आज ये आँचल मुँह क्यों छिपाये आँख का काजल क्यों शरमाये आख़िर क्या है बात हंसी क्यूँ होठों तक आ कर रुक जाये आज ये आँचल मुँह क्यों छिपाये
सहमी नज़र बहकी अदा आज है हर अंदाज़ नया दिल की लगी छुप ना सकी राज़ ये आख़िर खुल ही गया रंग बदल कर किधर चली हो बदन समेटे नज़र चुराये आज ये आँचल मुँह क्यों छिपाये आँख का काजल क्यों शरमाये आख़िर क्या है बात हंसी क्यूँ होठों तक आ कर रुक जाये आज ये आँचल मुँह क्यों छिपाये
महकी हवा बहकी घटा ये आलम ये मदहोशी चुप ना रहो कुछ तो कहो तोड़ भी दो ये खामोशी ये मौसम ये घड़ी मिलन की रोज़ कहाँ जीवन में आये आज ये आँचल मुँह क्यों छिपाये आँख का काजल क्यों शरमाये आख़िर क्या है बात हंसी क्यूँ होठों तक आ कर रुक जाये आज ये आँचल मुँह क्यों छिपाये
दिल को मेरे मिल ही गया साथी प्यार की राहों का साथ कभी छूटे ना इन लहराती बाहों का अब ना जुदा हों दिल से तेरी बलखाती ज़ुल्फ़ों के साये आज ये आँचल मुँह क्यों छिपाये आँख का काजल क्यों शरमाये आख़िर क्या है बात हंसी क्यूँ होठों तक आ कर रुक जाये आज ये आँचल मुँह क्यों छिपाये
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