मुकेश आँख जो देखे है धोखा खाए है आँख जो देखे है धोखा खाए है दिल जो अँधा है वो राह बतलाए है दिल जो अँधा है वो राह बतलाए है आँख जो देखे है धोखा खाए है आँख जो देखे है धोखा खाए है
अज्ञातआँखों से सुने मन की मानी हैं आँखों से सुने मन मानी हैं आँखों से सुने मन मानी
चितचोर चितचोर चितचोर चितचोर को कैसा पहचाने हाँ पहचाने हाँ पहचाने
मुकेश वो बनकर वो बनकर नूर निकलता है वो बनकर नूर निकलता है तारे लगते हैं शरमाने शरमाने तारे लगते हैं शरमाने शरमाने हम शबनम बनकर रोते हैं हम शबनम बनकर रोते हैं कलियाँ लगती हैं मुस्काने मुस्काने कलियाँ लगती हैं मुस्काने मुस्काने या वो है तमाशा या हम हैं
अज्ञातये भेद है हाँयेभेदहैये भेद है क्या कोई क्या जाने कोई क्या जाने ये भेद है कोई क्या जाने कोई क्या जाने
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