अनुरागी मन सब कुछ सह ले अनुरागी मन सब कुछ सह ले हर उलझन में हँस के तू रह ले अनुरागी मन सब कुछ सह ले
एक संग तेरा परिचय गहरा जनम-जनम का यह नाता रे एक सुध खो कर बेसुध होकर गीत तुम्हारे ही गाता रे मन दो चेहरों का तू एक दरपन अनुरागी मन सब कुछ सह ले
मिटती नहीं है प्रेम की रेखा तूफानों के भी आने से तृप्ति अधूरी रह जाती है सागर को भी पा जाने से हो ना हो पूरा तेरा समर्पण अनुरागी मन हर उलझन में हँस के तू रह ले अनुरागी मन सब कुछ सह ले
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