मुकेश अपने वतन में आज दो बूँद पानी नहीं अपने वतन में आज दो बूँद पानी नहींतो यहाँ जिंदगानी नहीं अपने वतन में आज
मुकेश तोड़ के सारे रिश्ते नाते जा तो रहे हैं धूल उड़ाते पानी जिस दिन आ जाएगा पानी जिस दिन आ जाएगालौट आयेंगे नाचते गाते नाचते गाते होगी सुहानी कभी होगीसुहानीकभी शाम जो अब सुहानी नहीं दो बूँद पानी नहीं तो यहाँ जिंदानी नहींअपने वतन में आजसाथी आ आ आ आ आ
नूरप्यारी धरती छोड़ें कैसे कसमें अपनी तोड़ें कैसे छोड़े कैसे मुकेश प्यारी धरती छोड़ें कैसे कसमें अपनी तोड़ें कैसेमरना होगा मर जायेंगे मरना होगा मर जायेंगेजीते-जी मुँह मोड़ें कैसे मोड़ें कैसे चाहा जो उठना कभीचाहा जो उठना कभी बात ये दिल ने मानी नहीं दो बूँद पानी नहीं तो यहाँ जिंदगानी नहीं अपने वतन में आज
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