बीत चली बरखा ऋतु सीते सुध न मिली तुम्हारीबीत चली बरखा ऋतु सीते सुध न मिली तुम्हारी ज्वाला बन के मुझे जलाती बिरहा की चिंगारीसुध न मिली तुम्हारी बीत चली बरखा ऋतु सीते सुध न मिली तुम्हारी
छूट गयाछूट गया है जब से साथ तुम्हारा टूट गया प्राणो का धीरज सारा कौन सुनेगा तुम बिन सीते मन की व्यथा हमारी सुध ना मिली तुम्हारी बीत चली बरखा ऋतु सीते सुध ना मिली तुम्हारी
NOT IN VIDEOसाथी चन्दा चमके तुम्हारी अटरिया चन्दा चमके तुम्हारी अटरिया बरखा बीत शरद रुत आई चन्दा ने चाँदनी बिछाई बरखा बीत शरद रुत आईचन्दा ने चाँदनी बिछाई दुल्हन बनी है सारी नगरिया दुल्हन बनी है सारी नगरियासारी नगरिया चन्दा चमके तुम्हारी अटरिया चन्दा चमके तुम्हारी अटरिया
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