मुकेश कभी रोती कभी हँसती कभी बनती बिगड़ती है इशारे उनके होते हैं कहानी मेरी बनती हैं कभी रोती कभी हँसतीकभी बनती बिगड़ती हैकभी रोती
मुकेश उधर वो नाचते हैं झूम के मस्ती के आलम में उषा इधर हम गिनते अश्कों को जो गिरते अपने दामन में जो गिरते अपने दामन में मुकेश वो नफरत हमसे हैं करते मोहब्बत उनसे हम करते खबर क्या उनको है हम पर यहाँ क्या-क्या गुज़रती हैं कभी रोती कभी हँसतीकभी बनती बिगड़ती हैकभी रोती
उषा जब वो पास है आती बहारें झूम जाती हैं बहारें झूम जाती हैंचमन की अधखिली कलियाँ घूँघट अपना हटाती हैं मुकेश हवा में गूँज उठते हैं मोहब्बत के नये नगमें निगाहें जब मिला कर वो निगाहों को झुकाती है उषा मगर फिर खेल किस्मत के हमें मायूस कर देते हम मजबूर हो जाते हम मजबूर हो जाते हवा यूँ रुख बदलती है मुकेश कभी रोती कभी हँसतीकभी बनती बिगड़ती है
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