रखना ये याद सावन के बाद होती है बरसात मुश्किल से ही बिछड़े अगर यूँ हमसफ़र होगी मुलाक़ात मुश्किल से ही ऐ हमनशीं हम ये जमीं ये आसमाँ छोड़ जायेंगे तुमने हमें जाना नहीं हम ये जहाँ छोड़ जायेंगे रोओगे तुम सुन के जिसे वो दास्ताँ छोड़ जायेंगे
जाओ सनम देखेंगे हम हमको दिखाओ ज़रा भूल के पूछोगे तुम हम हैं कहाँ इक दिन चमन के हर फूल से आओगे तुम बन के बहार हम गुलसितां छोड़ जायेंगे तुमने हमें जाना नहीं हम ये जहाँ छोड़ जायेंगे रोओगे तुम सुन के जिसे वो दास्ताँ छोड़ जायेंगे
जाते हुए ये सोच लो वापस ये दिन-रात ना आएंगे जलते हुए लम्हों पे ये परवाने फिर हाथ न आएंगे मिल जायेंगे हम खाक़ में हरसू धुआँ छोड़ जायेंगे तुमने हमें जाना नहीं हम ये जहाँ छोड़ जायेंगे रोओगे तुम सुन के जिसे वो दास्ताँ छोड़ जायेंगे
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