तेरे प्यार को इस तरह से भुलानान दिल चाहता है न हम चाहते हैंजो सच था उसे इक फ़साना बनानान दिल चाहता है न हम चाहते हैं
वो मासूम सूरत वो भोली निगाहेंरहेंगी सदा दिल में आबाद होकरन पूरी हुई जो उसी आरज़ू मेंमिलेगा हमें चैन बरबाद हो करकि उजड़ी हुई ज़िन्दगी को बसानान दिल चाहता है न हम चाहते हैं तेरे प्यार को इस तरह से भुलानान दिल चाहता है न हम चाहते हैं
समझ में न आया कि हर इक ख़ुशी सेये दिल आज बेज़ार क्यों हो गया हैतेरे ग़म में बहते हुए आँसुओं सेन जाने हमें प्यार क्यों हो गया हैकि भूले से भी अब कभी मुस्करानान दिल चाहता है न हम चाहते हैं तेरे प्यार को इस तरह से भुलानान दिल चाहता है न हम चाहते हैं जो सच था उसे इक फ़साना बनानान दिल चाहता है न हम चाहते हैं
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