सुमन वो परी कहाँ से लाऊँ तेरी दुल्हन जिसे बनाऊँकि गोरी कोई पसन्द न आये तुझकोकि छोरी कोई पसन्द न आये तुझको वो परी कहाँ से लाऊँ तेरी दुल्हन जिसे बनाऊँकि गोरी कोई पसन्द न आये तुझकोकि छोरी कोई पसन्द न आये तुझको शारदा वो परी कहाँ से लाऊँ तेरी दुल्हन जिसे बनाऊँकि गोरी कोई पसन्द न आये तुझकोकि छोरी कोई पसन्द न आये तुझको सुमन और शारदा वो परी कहाँ से लाऊँ तेरी दुल्हन जिसे बनाऊँकि गोरी कोई पसन्द न आये तुझकोकि छोरी कोई पसन्द न आये तुझको सुमनये तो मेरी है सहेली दिलवाली अलबेलीजैसे मोतिया चमेली जैसे प्यार की पहेली शारदा सोलह साल की उमर कोका-कोला सी कमररत्ती भर भी क़सर कहीं आये न नज़र कुछ हुआ है असर?मुकेश गोल जूड़े में ये वेनी और वेनी में टहनी कैसे जूड़ियों से पेड़ उगायेये गंगाराम के समझ में न आयेसुमन और शारदा वो परी कहाँ से लाऊँ तेरी दुल्हन जिसे बनाऊँकि गोरी कोई पसन्द न आये तुझकोकि छोरी कोई पसन्द न आये तुझको
शारदाआँख जिसकी है बिल्ली नाम उसका है लिल्लीऐसे कजरे की धार जैसे तीखी तलवार सुमन देख होंठों का ये रंग देख चलने का ढंगकटे अंग्रेज़ी बाल बाँधा रेशमी रुमाल बोलो क्या है खयाल?मुकेशइसे जब लिया तक मेरा दिल हुआ फकछोरी होके हजामत करायेये गंगाराम के समझ में न आयेसुमन और शारदा वो परी कहाँ से लाऊँ तेरी दुल्हन जिसे बनाऊँकि गोरी कोई पसन्द न आये तुझकोकि छोरी कोई पसन्द न आये तुझको
सुमन नाम इसका है कमल जैसे गन्ने की फसल जैसे खिला है गुलाब देख पूरा है पंजाब शारदा देख रूप की उमंग जैसे हिरनी का अंग जैसे खिला हो खजूर ऐसे मुखड़े पे नूर बोल है मंजूर? मुकेश ये तो नाचे छम-छम मेरा निकले है दम इसे भांगड़ा को कौन नचाए ये ग़गाराम के समझ मे ना आए सुमन और शारदा वो परी कहाँ से लाऊँ तेरी दुल्हन जिसे बनाऊँकि गोरी कोई पसन्द न आये तुझकोकि छोरी कोई पसन्द न आये तुझको
सुमनये तो सिंध से है आई है पढ़ी बी. ऐ. की पढाई है तंग कुरता पजामा जैसे छोकरी हंगामा शारदाजैसे तितली का अंग जैसे उड़ती पतंग जैसे कोयल की कूहु जैसे खिले खुशबू कहती है आइ लव यूमुकेश हे प्रभु हे प्रभु हे तू ही तू तू ही तू ऐसे नखरे कौन उठाए ये ग़गाराम के समझ मे ना आएसुमन और शारदा वो परी कहाँ से लाऊँ तेरी दुल्हन जिसे बनाऊँकि गोरी कोई पसन्द न आये तुझकोकि छोरी कोई पसन्द न आये तुझको
शारदा ना है दिल की ये छोटी ना है प्यार की ये खोटी ज़रा हो गई है मोटी तभी लगती है छोटी सुमन देख इसकी मसल भी खाती है असल तेरे खेतों मे जाए तेरे हल भी चलाए तेरे बड़े काम आयेमुकेश मुझे करो ना हैरान ये तो लगे पहलवान इससे कसरत कों कराए ये ग़गाराम के समझ मे ना आएसुमन और शारदा वो परी कहाँ से लाऊँ तेरी दुल्हन जिसे बनाऊँकि गोरी कोई पसन्द न आये तुझकोकि छोरी कोई पसन्द न आये तुझको
सुमन और शारदा छोड़ो ये तो है नादान करे सबको हैरान नहीं समझेगा प्यार बिल्कुल है गँवार इसे रहने तो कंवारा फिरने दो मारा मारा आओ हम संग जायें मज़ा इसको चखाएँ सुमनहोश इसके उड़ाएँ साथी ये होंठ जब खोले बार बार यही बोले गंगाराम की समझ मे ना आए मुकेश ये गंगाराम की समझ
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