मुकेश ओ शिर्डी के साईं बाबा तेरी दुहाई बाबा तेरी शरण हम आ गये ओ साईं हम तो जनम जनम का फल पा गये शिर्डी के साईं बाबा तेरी दुहाई बाबातेरी शरण हम आ गये ओ साईं हम तो जनम जनम का फल पा गये ना कोई ऊँचा ना कोई नीचा तेरे इस दरबार में ना कोई ऊँचा ना कोई नीचा तेरे इस दरबार में जो भी आए सब कुछ पाए तेरे निर्मल प्यार में ओ मनमोहक मूरत वाले ओ मनमोहक मूरत वाले तुम सब से हो निराले दीन दयालु हमें भा गये साथी ओ साईं हम तो जनम जनम का फल पा गये ओ साईं हम तो जनम जनम का फल पा गये
मुकेश ना माँगे हम हीरे मोती ना चाँदी ना सोना ना माँगे हम हीरे मोती ना चाँदी ना सोना हमें तुम्हारी कृपा चाहिए और हृदय का कोना हम को हाथ दया का देना हम को हाथ दया का देना अपनी छाया में लेना लीला तुम्हारी हम पा गये साथी ओ साईं हम तो जनम जनम का फल पा गयेओ साईं हम तो जनम जनम का फल पा गयेमुकेश ओ साईं हम तो जनम जनम का फल पा गयेओ साईं हम तो जनम जनम का फल पा गये
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