दो दिल हों दो दिलों को उल्फत का सहारा हो हम तुम हो चाँदनी हो दरिया का किनारा हो दो दिल हों
आओ कि चलें दोनों आकाश के तारों में आकाश के तारों में झूमी सी बहारों में झूमी सी बहारों में सावन का नज़ारा हो दो दिल हों
सीने में मुहब्बत की इक आग लगाए जा गीत मैं सुनाता हूँ नज़रें तो मिलाए जा नज़रों में मुहब्बत का मासूम इशारा हो दो दिल हों
खामोश निगाहों से अफसाना सुना बैठे तुम्हें दिल से लगा बैठे दुनिया को भुला बैठे मालुम नही अब क्या अंजाम हमारा हो दो दिल हों
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