हे प्रिये तुम्हारे स्वागत को हैं प्राण मेरे तैयार मैंने देखा है आज चाँद धरती पर पहली बार
तारों के झुरमुट ढूँढ रहे चन्दा को गगन अटारी में मेरे आँगन में चन्दा उगा अंधियारा है सृष्टि सारी में फिर झन झन झन झन झनक उठे मेरी मन वीना के तार मैंने देखा है आज चाँद धरती पर पहली बार
घबराओ नहीं मुस्काओ ज़रा अब हमसे नज़र चुराओ नहीं है युग-युग की पहचान नहीं है अनजान अजी शरमाओ नहीं नैनों को नैंन बता देंगे ये जीत हुई या हार मैंने देखा है आज चाँद धरती पर पहली बार
मैं भ्रमर नहीं रस का लोभी मैं पतंग हूँ जल जाऊँगा मैं पागल प्रेमी हूँ तेरा कल्पना का स्वर्ग बनाऊँगा फिर हम दोनों को ईर्ष्या से देखेगा सब संसार मैंने देखा है आज चाँद धरती पर पहली बारहे प्रिये तुम्हारे स्वागत को हैं प्राण मेरे तैयारमैंने देखा है आज चाँद धरती पर पहली बार
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