मुकेश चाहे देखो जल में चाहे देखो थल में चाहे नीलगगन में निहार लो भगवान समाये संसार में अनुराधा वो ही सब के मन में वो ही कण-कण में जहाँ चाहो उनको पुकार लो भगवान समाये संसार में
मुकेश और अनुराधा चाहे देखो जल मेंचाहे देखो थल में चाहे नीलगगन में निहार लोभगवान समाये संसार में
मुकेश बन के अन्न वो धरती से उपजे सबकी भूख मिटाये अनुराधा फूल बगिया बन वो ही महके फल और फूल लुटाये हर मौसम है वेश उसी का जो भी आये जाए मुकेश पानी के झरने पर्वतों के गहने उसने ही दिये है उपहार में भगवान समाये संसार मेंमुकेश और अनुराधा चाहे देखो जल मेंचाहे देखो थल में चाहे नीलगगन में निहार लोभगवान समाये संसार में
मुकेश वो अपनी ही इच्छा से है सारा जगत रचाता अनुराधा रंग-बिरंगे परदों से है जग का मंच सजाता अपने अनगिनत रूप बना कर अभिनय करने आता मुकेश मुस्काये वो सुख में मुरझाये वो दुःख में डूब जाए अंसुअन की धार में भगवान समाये संसार में
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