माथे बांध्यो मोगरो ने रुदिये एनो रंग सुवास एनी शोभती कई मनभरानो संग समझे पण मिजाजी मूके नहीं मान वहेतो एवो वायरो के लट तारी विखराय चाँद विखेरे वादढां तो रात पूनम थाय समझे पण मिजाजी मूके नहीं मान सूनी जीवन-जात्रा ने वसमी जमनी वाट नभने धरती भेटतां कई दूर क्षितिज ने घाट समझे पण मिजाजी मूके नहीं मान मनमां वागे मोरली ने तनमां जागे तान रूप बन्युन छे राधिका ने प्रेम बन्यो छे कान समझे पण मिजाजी मूके नहीं मान
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