रे प्रिय मोरो कुह मुं तुमरि पाई तो बिना मोरो दुनिया रे केहि नाहीं रे प्रिय मोरो कुह मुं तुमरि पाई तो बिना मोरो दुनिया रे केहि नाहीं रे प्रिय मोरो पाई मु पोरश तोरो शहरद देहरे मोरो जीबने उठे जुआरो सपने मो मन बिभोरो ऐ सपरो मो कुह तु भांगिबू नाहीं ना भांगी दिने छाड़ी चाली जिबु काहीं रे प्रिय मोरो मनरा उपबनरु सरागे मु साऊंटी फूलो गभारे खोसी गो देबी मधु भरा ऐ उपहारो मो उपहार सते कि चाहूँ तू नाहीं ऐ जीबन रे बंचिबी मु कहाँ पाई रे प्रिय मोरो कुह मुं तुमरि पाई तो बिना मोरो दुनिया रे केहि नाहीं रे प्रिय मोरो
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