सांभळजो पोकार प्रभु सांभळजो पोकार प्राणदीप प्रगटावो हे जगना सर्जनहार सांभळजो पोकार भगवंत भक्तनुं वचन निभावो जगमां चेतन-ज्योत जगावो कर जो ना प्रभु वार सांभळजो पोकार समजी ना समजाय जगतनी अकल कला प्रभुनी जीवन सामे मरण जनमतुं तारी ए बलिहारी सांभळजो पोकार लाज आज प्रभु मारी राखो छोने निरखे सजीवन थईने सतीने पतिनी आँखों अंखिया अश्रुधार सांभळजो पोकार
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