सजन म्हारी प्रीतड़ी सदियों पुराणी सजन म्हारी प्रीतड़ी सदियों पुराणी भूली ना भुलाशे प्रणय-कहानी सजन मारी प्रीतड़ी जनमो जनमयी प्रीति दीधी कां विसारी जनमो जनमयी प्रीति दीधी कां विसारी प्यारी गणी तें शाने मरण-पथारी जलता हृदयनी तें तो वेदना न जाणी सजन म्हारी प्रीतड़ी धरा पर झूकेलुं गगन करे अणसारो धरा पर झूकेलुं गगन करे अणसारो मढशे जिगर ने मीठो अमीनो सहारो झंखता जिवोनी लगनी नथी रे अजाणी सजन म्हारी प्रीतड़ी सदियों पुराणी भूली ना भुलाशे प्रणय-कहानी सजन म्हारी प्रीतड़ी
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