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मुकेश कभी कभी मेरे दिल में, ख़याल आता है लता कभी कभी मेरे दिल में , ख़याल आता है के जैसे तुझको बनाया गया है मेरे लिये के जैसे तुझको बनाया गया है मेरे लिये तू अबसे पहले सितारों में बस रही थी कहीं तू अबसे पहले सितारों में बस रही थी कहीं तुझे ज़मीं पे बुलाया गया है मेरे लिये तुझे ज़मीं पे बुलाया गया है मेरे लिये कभी कभी मेरे दिल में , ख़याल आता है लता कभी कभी मेरे दिल में , ख़याल आता है के ये बदन ये निगाहें मेरी अमानत हैं के ये बदन ये निगाहें मेरी अमानत हैं ये गेसुओं की घनी छाँव हैं मेरी ख़ातिर ये होंठ और ये बाहें मेरी अमानत हैं ये होंठ और ये बाहें मेरी अमानत हैं लता कभी कभी मेरे दिल में , ख़याल आता है के जैसे बजती हैं शहनाइयाँ सी राहों में के जैसे बजती हैं शहनाइयाँ सी राहों में मुकेश सुहाग रात है घूँघट उठा रहा हूँ मैं लता सुहाग रात है घूँघट उठा रहा हूँ मैं सिमट रही है तू शरमा के अपनी बाहों में सिमट रही है तू शरमा के अपनी बाहों में लता कभी कभी मेरे दिल में , ख़याल आता है के जैसे तू मुझे चाहेगी उम्र भर यूँही उठेगी मेरी तरफ़ प्यार की नज़र यूँही मुकेश मैं जानता हूँ के तू ग़ैर है मगर यूँही मैं जानता हूँ के तू ग़ैर है मगर यूँही कभी कभी मेरे दिल में , ख़याल आता है लता कभी कभी मेरे दिल में , ख़याल आता है