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मुकेश ज़ुल्फ़ों को लहरा के चलो न बिखरा के सावन की घटा शरमाएगी ज़ुल्फ़ों को लहरा के चलो न बिखरा के सावन की घटा शरमाएगी कृष्ण देखो न मुस्कुरा के यूँ नज़रे मिला के फूलों की अदा शरमाएगी देखो न मुस्कुरा के यूँ नज़रे मिला के फूलों की अदा शरमाएगी
मुकेश ये झुकी झुकी आँखें ये रुकी रुकी साँसे कि दुनिया ही रुक जाए ना कृष्ण कसम है तुम्हारी कि तुमसे मैं हारी जभी तो आँख झुक जाए ना हाय मुकेश निगाहों को झुका के चलो न शर्मा के देखेगी हया शरमाएगी कृष्ण देखो न मुस्कुरा के यूँ नज़रे मिला के फूलों की अदा शरमाएगी
कृष्ण कली मैं अलबेली रहूँगी न अकेली जो चाहूँ वो कहा जाये ना मुकेश ये किरणों सी राहें ये झरनो सी बाहें बुलाए तो रहा जाए ना हाय कृष्ण हवा में इठला के चलो ना इतरा के गुलशन की फ़िज़ा शरमाएगी मुकेश ज़ुल्फ़ों को लहरा के चलो ना बिखरा के सावन की घटा सरमाएगी
मुकेश ये दिल है दीवाना इसे ना समझाना दीवाना ये मचल जाए ना कृष्ण मिला है कोई अपना खिला है मेरा सपना जमाना कहीं जल जाए ना हाय मुकेश और कृष्ण चलेंगें गुनगुना के वफ़ा के गीत गा के जहाँ की जफ़ा शरमाएगी चलेंगें गुनगुना के वफ़ा के गीत गा केजहाँ की जफ़ा शरमाएगी